हाई प्रोफाइल ड्रामा, आपत्ति खारिज
कांगे्रस प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी पर तथ्य छुपाने का लगाया आरोप
विदिशा। सोमवार को विदिशा विधानसभा से कांगे्रस प्रत्याशी शशांक भार्गव की ओर से सिविल लाइन थाना और विदिशा रिटर्निंग अधिकारी के साथ-साथ प्रदेश और राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग को की गई लिखित शिकायत में भाजपा प्रत्याशी मुकेश टंडन द्वारा जानकारी छुपाए जाने की शिकायत कर उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की थी। जिसे दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरओ सीपी गोहिल ने आपत्ति रद्द कर दी। यह हाईप्रोफाइल ड्रामा सुबह 10 बजे से शुरू होकर दोपहर तीन बजे तक जारी रहा। खास बात यह रही कि शशांक भार्गव के साथ ठीक इसी प्रकार की आपत्ति निर्दलीय प्रत्याशी मोकमसिंह पंथी ने भी दर्ज कराई थी।
सोमवार की सुबह 10 बजे के लगभग कांगे्रस प्रत्याशी शशांक भार्गव पहले सिविल लाइन थाने पहुंचे। जहां उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मुकेश टंडन पर नामांकन जमा करने के दौरान शपथ पत्र में जानकारी छुपाए जाने, अपनी फर्म के बारे में और उसके खाते के बारे में जानकारी न देने की शिकायत की। इसी प्रकार की शिकायत उन्होंने जिला निर्वाचन, प्रदेश निर्वाचन और राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग को की। विदिशा रिटर्निंग अधिकारी सीपी गोहिल के सामने भी यह आपत्ति दर्ज की गई। जिसमें उन्होंने भाजपा प्रत्याशी की दावेदारी को निरस्त करने की मांग की। आरओ कक्ष में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। करीब एक घंटे का वक्त भाजपा प्रत्याशी को दिया गया। जिसमें वे अपनी ओर से अपना जवाब पेश करें। जवाब आने, तमाम नियमावली जांचने के बाद रिटर्निंग अधिकारी सीपी गोहिल ने दोपहर तीन बजे दोनों पक्षों के सामने इस आपत्ति को खारिज कर दिया। साथ ही इनके द्वारा उम्मीदवारी रद्द करने की मांग को भी अमान्य कर दिया।
इनका कहना है
भाजपा प्रत्याशी मुकेश टंडन द्वारा शपथ पत्र के जरिए पूरी जानकारी नहीं दी गई है। एक फर्म और उसके खाते की जानकारी भी उन्होंने शपथ पत्र में छुपाई है। जबकि कुछ दिनों पहले ही उन्होंने इस फर्म का जीएसटी भरा था, वे इस फर्म के प्रॉपराइटर हैं। भाजपा प्रत्याशी संपत्ति को दबाव बनाकर खुद के और अपने साथियों के नाम करवा रहे हैं। हालांकि न्याय प्रक्रिया भी विश्वास योग्य नहीं है। बहुत संभव है कि दावे खारिज हो जाएं।
– शशांक भार्गव, कांग्रेस प्रत्याशी
जिस प्रकार से कांग्रेस प्रत्याशी ने मुझ पर आरोप लगाए हैं, वह निराधार है। वह एक बड़े उद्योगपति हैं। मैं कमजोर सामान्य नागरिक हूं। वे अपनी आने वाली हार से विचलित हैं, इसलिए इस प्रकार की शिकायत कर रहे हैं। उन्होंने जिस तरीके से स्तर गिराकर भाषा का इस्तेमाल किया है, वह उन्हें शोभा नहीं देता। कौन सच्चा है कौन झूठा है यह जनता के दरबार में तय होगा। फिलहाल उनके दावे और आपत्ति निरस्त कर दी गई हैं।
– मुकेश टंडन, भाजपा प्रत्याशी

कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा भाजपा प्रत्याशी पर शपथ पत्र में जानकारी छुपाए जाने संबंधी आपत्ति लगाई गई थी। इसके आधार पर उनकी उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की गई थी। तमाम नियम और अनुदेशों के साथ दोनों पक्षों को सुनने के बाद वेध तरीके से दी गई जानकारी मान्य की जाती है। भाजपा प्रत्याशी द्वारा सभी जानकारी वैध तरीके से दी गई है। जिन बिंदुओं पर आपत्ति उठाई गई है, उन बिंदुओं के आधार पर आरओ को किसी प्रत्याशी की उम्मीदवारी रद्द करने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी और इसी प्रकार की शिकायत करने वाले निर्दलीय प्रत्याशी की आपत्ति को रद्द कर दिया गया है।
– सीपी गोहिल, आरओ विदिशा
जिला कांग्रेस को मिला एक और कार्यकारी अध्यक्ष , प्रतिलिपि में मेहताबसिंह ही हैं जिलाध्यक्ष
विदिशा। चुनावों के मौसम में प्रदेश कांगे्रस कमेटी जिस प्रकार से कार्यकर्ताओं को मनाने का प्रयास कर रही है, वह किसी भी व्यक्ति यहां तक की पार्टी कार्यकर्ताओं को भी हजम नहीं हो रही। जिले को एक और कार्यकारी अध्यक्ष का तोहफा मिला है। जारी पत्र में प्रतिलिपि के रूप में डा. मेहताबसिंह को जिलाध्यक्ष के नाते जानकारी दी गई है।
एक दिन पहले ही कांगे्रस के भीतर पद बांटने को लेेकर हमने खबर प्रकाशित की थी। एक बार फिर पद वितरण का पत्र सामने आया। जिला कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में शैलेन्द्र भदौरिया की नियुक्ति का पत्र जारी किया गया। पत्र क्रमांक 1658/18 मप्र कांगे्रस कमेटी के लेटर हेड पर 11 नवंबर 2018 की तारीख को यह पत्र जारी हुआ। जो उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। इसकी प्रतिलिपि शैलेन्द्र भदौरिया के साथ इसकी प्रतिलिपि डा. मेहताब सिंह यादव जिलाध्यक्ष विदिशा के नाम पर भेजी गई है।
शैलेन्द्र भदौरिया के साथ विदिशा जिले में कार्यकारी जिलाध्यक्षो की संख्या बढ़कर चार हो गई है। अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार अभी कार्यकारी जिलाध्यक्षों की तीन और नियुक्ति आगामी दिनों में सामने आ सकती हैं।
जिलाध्यक्ष को लेकर फिर घमासान
ऑल इंडिया कांगे्रस कमेटी और प्रदेश कांगे्रस कमेटी के बीच सामंजस की कमी लंबे समय से चली आ रही है। उसका एक और प्रमाण सामने आ गया। बासौदा निवासी शैलेन्द्र रघुवंशी को एआईसीसी ने जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया। इसके लिए पत्र दीपक बावरिया के हस्ताक्षर से 13 तारीख को जारी हुआ और 23 अक्टूबर को सार्वजनिक हुआ। इसके पहले और बाद में प्रदेश कांगे्रस कमेटी में चंद्रप्रभाष शेखर के हस्ताक्षर से चार से पांच नियुक्तियां जारी की गईं। सभी की प्रतिलिपि पर एआईसीसी द्वारा नियुक्त जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र रघुवंशी के स्थान पर पूर्व अध्यक्ष रहे डा. मेहताबसिंह यादव को ही जिलाध्यक्ष मानते हुए प्रतिलिपि में तमाम पत्र जारी किए गए। पूर्व में चंद्रप्रभाष शेखर से शैलेन्द्र रघुवंशी के जिलाध्यक्ष होने न होने का सवाल किया गया था तब उन्होंने लिखित सूचना उनके पास न होने की बात कही थी। एक पखवाड़ा बीतने के बाद भी उन तक या तो जानकारी लिखित रूप से नहीं पहुंची या फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी एआईसीसी के निर्देशों को मान्य नहीं करती। कहीं न कहीं दीपक बावरिया और चंद्रप्रभाष शेखर के बीच कोई आपसी तनातनी है। इसी तनातनी के नतीजे में विदिशा कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष की गेंद कभी शैलेन्द्र रघुवंशी के पाले में तो कभी डा. मेहताबसिंह यादव के पाले में जाती दिखाई देती है।
(विदिशा से अमित श्रीवास्तव की खबर)@newsbiryani